google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 https://www.bing.com/webmasters?tid=56256cd2-0b6b-4bf5-b592-84bcc4406cf4 google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 जब घर ही उजड़ गया तो बाद में पछताने से क्या फायदा google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Verification: 7f7836ba4c1994c2

जब घर ही उजड़ गया तो बाद में पछताने से क्या फायदा

     




जब घर ही उजड़ गया तो बाद में पछताने से क्या फायदा  




        बहुत समय पहले की बात है एक सहर में दो पति - पत्नी रहते थे | रात  का समय था  घर की खिड़की से बाहर आसमान में चाँद को निहारते हुए कृष्णा के दिमाग और मन में अजीबसी कस्मकस चल रही थी उसकी पत्नी नायरा जब से नौकरी करने लगी, तब से वह कुछ बदल सी गई है.... | पिछले वर्ष नायरा की नौकरी की ख़ुशी में हमने अपने घर पर सभी दोस्तों को बुलाकर पार्टी दी थी | सभी नायरा की बहुत तारीफ कर रहे थे | 

            नायरा को नौकरी लगे अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ था कि नायरा का तबादला दुसरी जगह हो गया |  और नायरा ने दूसरे शहर में ड्यूटी करना शुरू कर दिया और किराये पर एक कमरा भी वंही पर ले लिया |कृष्णा को नायरा की बहुत याद आती, उसने अपने घर की दीवारों पर सभी जगह नायरा की तस्वीरों को लगा दिया | कृष्णा पेंटर का काम करता था एकदिन कृष्णा का दोस्त रवि ने उसके घरपर दस्तक दी कृष्णा ने दरवाजा खोला और रवि को  अपने आर्टरुम में लेकर आ गया | 


रवि ने एक लिफाफा निकाल कर कृष्णा की ओर बड़ा दिया |  कृष्णा ने लिफाफा खोला, वह एक आर्ट गैलरी में तस्वीरों की प्रदर्शनी के लिए निमंत्रण  था | कृष्णा की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, कृष्णा की दयनीय हालतरवि से  छिपी नहीं थी पत्नी नायरा के चले जाने के बाद उसने कभी किसी को मदद के लिए नहीं कहा और वह किसी की मदद लेना भी नहीं चाहता था | 

            रवि ने उसके बनाये सारे चित्रों की पर्दर्शनी लगाने का सारा बंदोबस्त कर लिया था रवि उसकी बनाई हुई सारी तस्वीरों को गौर से देख रहा था सारी तस्वीरें नायरा भाभी की थी सोचने लगा काश,  भाभी एक कलाकार का मन पढ़ लेती | तभी कृष्णा ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया , रवि ने चौंककर देखा, रवि तुम कँहा खो गए लो गरमा - गरम चाय पियो | चाय पीते समय दोनों के बीच ख़ामोशी छा गई | रवि ने बात शुरू की,  "कृष्णा तुम रविवार को बारह बजे तैयार रहना मैं तुम्हे लेने आऊंगा प्रदर्शनी में एकसाथ चलेंगे |  

             रविवार को कृष्णा ने सारी फोटो को बांध लिया और रवि की इंतजार करने लगा थोड़ी ही देर में रवि ने अपनी गाड़ी का हार्न बजाया | कृष्णा ने सारी फोटो को साथ में लिया और गाड़ी में बैठ गया | वँहा जाकर दोनों ने तस्वीरों को सजाया, थोड़ी देर के बाद  सभी हाल में एकत्रित हो गए | 




              लोग कृष्णा की बनाई हुई तस्वीरों की बहुत प्रसंसा कर रहे थे  तभी एक चित्रकार ने कहा कि मुख्यअतिथि आ गई | कृष्णा ने चौंक कर देखा सामने से नायरा आ रही थी नायरा भी कृष्णा को देखकर असहज महसूस कर रही थी पर अपनी भावनाओं को दबाकर दीप प्रज्जवलित करने के लिए आगे बढ़ गई, प्रदर्शनी का सुभारंभ किया और  आयोजकों के साथ चित्रकारी देखने लगी | कृष्णा की बनाई हुई तस्वीरों के पास रूककर आयोजक ने कहा कि ये तस्वीरें इन्होने बनाई है नायरा के हाथ अभिवादन की मुद्रा में जुड़ गए, कृष्णा ने भी अभिवादन स्वीकार किया |   कृष्णा की पेंटिंग को सभी ने सराहा और सभी पेंटिंग्स को लोग अपनी पसंद के हिसाब से खरीद रहे थे साथ ही बहुत तारीफ भी कर रहे थे कि तस्वीरें बहुत ही सुन्दर है समझ में नहीं आता कि कोनसी ख़रीदे |     

रात नौ बजने से पहले ही कृष्णा की सारी तस्वीरें बिक गई | नायरा एक तस्वीर को हाथ में लेकर अश्रुपूर्ण नेत्रों से निहार रही थी कृष्णा से नजरें मिलते ही नायरा की आँखों में बरबस आसूं आ गए |  नायरा को अपनी गलती का अहसास हो चुका था| 










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