रंग के द्वारा अपनी पहचान बनाना?
किसी शहर में एक परिवार रहता था दो पति -पत्नी और उनका बेटा नाम उसका अमित था अमित के कॉलेज में रोजगार मेला लगा था अमित भी उस मेले में पिछले दस दिन से जा रहा था
आज उसकी माँ ने कहा की वह पिछले दस दिन से लाल रंग की कमीज पहन कर जा रहा है उसे अपनी कमीज को बदलना चाहिये |
हररोज एक ही कमीज पहन कर चला जाता है अमित ने हंसकर माँ से कहा, माँ आज मेले का आखिरी दिन है आप भी साथ में चलो ना | माँ की खुशी का कोई ठिकाना ना था वह जल्दी से तैयार हुई और अपने बेटे के साथ रोजगार मेले में पहुँच गईं |
माँ से रहा ना गया और एकबार फिर अमित से कहा की वह लाल रंग की कमीज ही क्यों पहनकर आता है | क्या इसकी कोई वजह है या ये उसका लक्की कमीज है और फिर उसने बेटे को समझाया कि वह किसी प्रकार के अंधविश्वाश पर यकीन ना करे , अमित ने उसको कोई जवाब नहीं दिया |
जैसे ही अमित पांडाल में पहुँचा, चारों तरफ से आवाजें आने लगी, अरे वह आ गया, वह लाल कमीज वाला | ओहो। .. इधर आओ सुनो अरे औ लाल कमीज वाले आपको उस कंपनी वाले बुला रहे है |
उधर वह देखो, "वग़ैरह -2 | आज आखिरी दिन था अमित की पकी नौकरी लग गई थी कल से काम पर जाना था वंहा से लौटते समय माँ ने कहा की वो सब समझ गई की ये कोई टोटका नहीं था आपकी पहचान थी आजकल परिचय पत्र को कौन पढ़ता है , हाँ आपका व्यवहार सब देखते है |
आपकी कमीज ही आपकी पहचान थी कमीज के रंग आप अच्छी तरह से पहचाने गये अमित ने सहमति में सिर हिलाया |
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