किसी गांव में एक गरीब परिवार रहता थे उनके ग्यारह बच्चे थे जिनमें छः लड़के और पांच लड़कियां थी घर की बहुत ही दयनीय हालत थी बच्चों के पिता कहने को राज मिस्त्री थे मगर उनका अपना ही घर ढंग का नहीं था ले देकर एक कच्चा मकान था घर के नाम पर |
उनका सबसे बड़ा लड़का मुश्किल से दस या बारह साल का हुआ होगा उसको समझ में आ गया कि उसको भी जल्दी काम करना होगा नहीं तो घर में एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं होगा |
तब उसने अपने स्कूल टाइम के बाद मजदूरी करनी शुरू करदी उसके बाद उस लड़के की जिस दिन स्कूल से छूटी होती थी उस दिन वह लड़का सारा दिन मजदूरी करके पैसे कमाता और घर में अपनी माँ को दे देता था |
उसकी माँ घर में जितने भी पैसे आते उनमे से बहुत सारे पैसे अपने मायके में दे देती और उनको गिफ्ट के रूप में कपड़े इत्यादि देती रहती जिसका किसी को कुछ पता नहीं था |
एकदिन उस लड़के के दिमाग में आया की हम चार भाई -बहन मिलकर जमींदार के खेत की फसल काटते हैं तब उन्होंने ऐसा ही किया और उसके बदले में उनको ढाई मन अनाज मिला | जमींदार उनके काम से बहुत खुश था क्योंकि उन्होंने काम बड़ी लगन और मेहनत के साथ किया था जमींदार ने खुश होकर अपनी बीस एकड़ जमीन की फसल भी उन्हीं बच्चों से कटवाई और उनको खुशी -2 उनके हिस्से का अनाज देने के बाद और फालतू अनाज उन्हें दिया |
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