google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 https://www.bing.com/webmasters?tid=56256cd2-0b6b-4bf5-b592-84bcc4406cf4 google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 अपना घर एक मन्दिर? google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Verification: 7f7836ba4c1994c2

अपना घर एक मन्दिर?




अपना घर एक मन्दिर?





सुलोचना बहुत गुस्से में थी कि उसकी कामवाली बहुत लेट हो गई थी और घर का सारा काम ऐसे ही पड़ा था | वह सोच ही रही थी कि उसको फ़ोन करके बुलाया जाये | तभी कामवाली ने दरवाजे की घंटी बजाई तब सुलोचना ने दरवाजा खोला और वह पूछने ही वाली थी, लेकिन कामवाली का बुझा -2 सा चेहरा देखकर चुप हो गई | 
            

थोड़ी देर के बाद सुलोचना ने पूछा, "क्या हुआ सीमा |" हमेशा खुश रहती हो, लेकिन आज इतनी गुम -सुम सी क्यों हो और देर क्यों हुई आने में ? 

  पहले तो सीमा ने कुछ नहीं बताया, मगर जब सुलोचना ने उसे प्यार से बिठा कर पानी पीने को देकर दुबारा पूछा, तब वह बोली, ऐसा क्यों होता है दीदी? कभी भी वह ऐसा कुछ कह देता है जिससे दिल पर बहुत चोट लगती है , पति है तो क्या, "वह कुछ भी कह दे |" 

      "क्यों आज क्या हो गया ?"सुलोचना ने प्यार से पूछा | "कुछ कहा सुनी हो गई तो मुझे घर से निकल जाने को कह दिया | ऐसा लगा इतने दिन का साथ है | बच्चे और घर के लिए मैंने भी बहुत कुछ किया है, क्या उसका कोई मोल नहीं?   

सीमा ने दुःखी मन से कहा | सीमा अपना अस्तित्व बनाने के लिए कुछ ही समय पहले घर से निकली थी काम करके पैसा कमाने, "ताकि उसका परिवार आत्म - सम्मान से जी सके |  उसके द्वारा कमाए हुए पैसे भी घर - परिवार के लिए खर्च होते | परन्तु उसने कभी कोई शिकायत नहीं की | इसलिए कि घर चलने के लिए और बच्चों की छोटी - 2 जरूरतों को पूरा करने के लिए पति के सामने हर समय हाथ ना फैलाने पड़ें |   

           सुलोचना ने उसे समझाते हुए कहा, "हो सकता है कि तुम्हारे पति का मतलब वह न हो जो तुमने सुना है |"

    हो सकता है , दीदी ! लेकिन यह बात औरत को कितनी चुभती है वह क्या जाने | जो औरत अपने पिता का घर छोड़कर पति का हाथ थामे उसके घर गृह - प्रवेश करती है, उसके बाद वह (पति) अच्छे से जानता है  कि उस घर के अलावा उसका कोई दूसरा घर नहीं होता |  

    पूरी जिन्दगी इसी घर - परिवार के लिए जीती है, फिर ऐसे एक झटके में कैसे कह देता है कि घर से चली जाओ | औरत की जिन्दगी भर की कमाई उसका घर, परिवार ही तो है, फिर वह किधर जाये ? मरने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता है उसके पास ?" 

     सुलोचना ने पूछा, "पहले यह बता की तूने कुछ खाया की नहीं ?"  सीमा ने सिर झुकार कर न कहा | सुलोचना ने उसे नास्ता देकर पहले उसे खाने को कहा | उसने रोटी - सब्जी खाई, और चुप सी बैठी रही |  फिर बोली, "दीदी ! आप बताओ आप तो पढ़ी - लिखी हो, अगर कोई पति 30 - 35 साल बाद भी पत्नी से ये कहे की घर से निकल जाओ, जबकि उसने उसने अपनी पूरी जिन्दगी अपने परिवार के लिए कुर्बान करदी और कभी अपने लिए कुछ कमाने को सोचा भी ना हो , ना ही अपना कहने को उसका कोई घर है, उसे क्या करना चाहिए ?" 

           सुलोचना स्वयं को कुरेदने लगी | क्या सीमा ही? कुछ ही दिन पहले की बात याद आई , जब देव ने गुस्से में आकर उसे चली जाने को कहा था |  

             क्या हमारे समाज में आज भी औरत के लिए यही सम्मान है | कि हम अपनी ग़लतियों पर भी उसको बुरा - भला कहकर उसको चुप करा देते हैं |   

मगर ऐसा कुछ नहीं कि वो आपसे डरती है, "वो सिर्फ अपने बच्चों और घर की इज्जत - सम्मान के लिए चुप रहती है | 

हमें नारी का सम्मान करना चाहिए, अगर वो सब नहीं कर सकते तो कम से कम उसको दुत्कारना या डाँटना, गाली - गलौच इत्यादि नहीं करना चाहिए |   
   

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