google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 https://www.bing.com/webmasters?tid=56256cd2-0b6b-4bf5-b592-84bcc4406cf4 google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 रिश्तों में प्यार की मिठास google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Verification: 7f7836ba4c1994c2

रिश्तों में प्यार की मिठास



रिश्तों में प्यार की मिठास  




"मछली बहन आपने बहुत अच्छा काम किया है | हम सबको परेशानी में एक - दूसरे की मदद करनी चाहिए |" 




                     
                

         एक जंगल में तालाब के किनारे पर बैठी हुई चिड़िया को बहुत जोर की प्यास लगी थी वह झुक कर पानी पीने लगी | उसी समय उसे प्रसव पीड़ा(दर्द) शुरू हो गया |  वह जोर - जोर से रोने लगी | उसका घर (घोंसला) भी बनकर तैयार नहीं हुआ था |  ऐसे में वह अण्डा कंहा देती? चिड़िया के रोने की आवाज सुनकर तालाब से एक मछली बाहर झांक कर देखने लगी |   तब उसने देखा एक चिड़िया रो रही है मछली चिड़िया के पास आकर बोली , "हे बहन आप क्यों रो रही हो ? चिड़िया ने रोते हुए कहा, बहन समझ नहीं आ रहा, कि क्या करूं? यँहा खुले में अण्डा देती हूँ तो पशु - पक्षी उसे अपना आहार बना लेते हैं |   



       मछली ने कहा , "मुझे बताओ तुम्हारे बच्चे कैसे पैदा होते हैं |" चिड़िया बोली , बहन पहले हम अंडे देते हैं , फिर उनको 15 से 20 दिन तक अपने शरीर से गर्मी देना पड़ता है उसके बाद उनमे से बच्चे बहार निकलते हैं  मछली ने कहा,  "बहन चिड़िया अगर तुम्हें मुझपर भरोसा हो तो 15 दिन तक तुम्हारे अन्डे मैं संभाल लुंगी| चिड़िया ने कहा,"तुम कैसे संभालोगी?"  तब मछली ने चिड़िया को समझाया कि मैं तुम्हारे अन्डों को अपने अंदर संभाल कर रखूंगी | चिड़िया ने आँखों में आसूं भरकर मछली को अन्डे दे दिए | 

        

 

    चिड़िया ने दिन -रात मेहनत करके अपना घोंषला दस दिन में बना लिया| अब वह सोचने लगी की मछली तो पुरे पन्द्रह दिन बाद आयेगी| चिड़िया ने चार दिन बड़ी बेचैनी के साथ व्यतीत किये और पाँचवे दिन सुबह होते ही वह तालाब के किनारे बैठ गयी |  सुबह से दोपहर हो गयी , मगर मछली बाहर नहीं आयी, यह देखकर चिड़िया रोने लगी |  शाम होने पर मछली बाहर तालाब के किनारे आयी और बोली ,"कैसी हो चिड़िया बहन | तुम उदास क्यों हो?" 


       चिड़िया सुबकते हुए बोली , "चिड़िया सुबकते हुए बोली, "मैं ठीक हूँ |" तुम कैसी हो , तुम्हें अपना वादा याद है ना |   आज पूरे 15 दिन हो गए हैं| अब मेरे अंडे मुझे लौटा दो | "अरे , 15 दिन इतनी जल्दी बीत गये, मुझे पता ही नहीं चला मछली ने हँसते हुए कहा|" लो, अपने अन्डे संभालो|  चिड़िया अपने दोनों अन्डे देखकर बहुत खुश हुई | 

 

         थोड़ी देर के बाद वह फिर से उदास हो गई और बोली, "बहन समस्या तो वैसे की वैसे है | मैं अपने घर तक कैसे लेकर जाउंगी|" मछली ने पूछा, चिड़िया बहन तुम्हारा घर कँहा पर है|   चिड़िया ने कहा, "तालाब के किनारे जो झाड़ियाँ हैं वंही पर बनाया है | मछली ने कहा रुको मैं अभी कछुआ भाई को बुलाती हूँ | 


         शायद वह तुम्हारी कुछ मदद कर सके |  मछली ने कछुए को आवाज लगाई, कछुआ जल्दी से तालाब के किनारे मछली के पास आया | मछली ने पूरी कहानी कछुए को बता दी |   कछुआ यह सुनकर बहुत खुश और बोला, "मछली बहन आपने बहुत अच्छा काम किया है|  हम सब को परेशानी में एक - दूसरे की मदद करनी चाहिए | 


         आप चिंता ना करें, "मैं अभी चिड़िया के अंडों को उसके घर पर पहुंचा देता हूँ | " चिड़िया ने मछली को बार -बार धन्यवाद दिया और बोली , " बहन जब मेरे बच्चे बड़े हो जायेंगे , तो वह अपनी मौसी से मिलने जरूर आया करेंगे |   

           

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