google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 https://www.bing.com/webmasters?tid=56256cd2-0b6b-4bf5-b592-84bcc4406cf4 google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 शंघर्ष एक गरीब बच्चे का - भाग ३ google.com, pub-4122156889699916, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Verification: 7f7836ba4c1994c2

शंघर्ष एक गरीब बच्चे का - भाग ३



               
शंघर्ष एक गरीब बच्चे का - भाग ३ 


              अभी मैं आपको अपनी इस कहानी के चरित्रों के नामों से रूबरू करवाता हूँ | उस बच्चे के बाप का नाम गुरनाम सिंह और माँ का नाम सुरजी देवी है, अभी भाइयों के नाम बताता हूँ दूनी चन्द, रघुबीर सिंह, नरेन्दर कुमार, सुरेन्दर कुमार और नरेश कुमार | और बहनों के नाम से वाकिफ करवाता हूँ दर्शनी, शिक्षा , मरिया और संतोष |  और अभी उस बच्चे का नाम देव |  

                 देव के पिता एक राजमिस्त्री का काम करते और माँ एक गृहणी |  मजदूरी केअलावा गुरनाम के पास और कोई रास्ता नहीं था क्योंकि अपनी जमीन जो सरकार की तरफ से अलॉट की गयी थी वह पैसे नहीं भरने की वजह से गवां दी थी इसमें भी मजदूरी से जो पैसे मिलते उनसे उनका गुजारा नहीं चलता था घर में एक भैंस थी जो दूध देती थी उसका दूध बेचकर घर का खर्चा चलाते |  और साथ ही देव अपने भाई दूनी चन्द और बहनों दर्शनी, शिक्षा को लेकर जमींदारों की फसल काटकर आनाज और पैसे कमाते | परन्तु सुरजी को ये सब अच्छा नहीं लगता जो पैसे घर में होते उनको अपने मायके में अपने भाई - भाभियों को उपहारों के रूप में दे देती |  इन सब बातों का गुरनाम को कुछ पता नहीं था या शायद वो देखकर भी अन्जान बना हुआ था | 

struggler child

                एकबार देव ने अपने भाई और बहनों के साथ लेकर फसल काटकर इतना पैसा कमाया और अपने बाप से कहा की इस पैसे से यमुनानगर या जगाधरी|  में एक पांच सौ गज का जमीन का एक पट्टा खरीद लो |  वंहापर सुरजी और गुरनाम साथ में गए क्योंकि सुरजी का मायका जगाधरी में था उस पैसे से उनहोंने २०० गज का जमीन का पट्टा ख़रीदा और जब देव ने इस बारे में पूछा तो उसको झूठ बोल दिया की ५०० गज का पट्टा ले लिया है |  घर में सुरजी को बोलने या रोकने वाला कोई नहीं था क्योंकि सास ने उसको पांच बच्चे पैदा होने पर अपने से अलग कर दिया था |  

               लेकिन देव को धीरे -२ सुरजी पर शक होने लगा की उसकी माँ ही पैसे अपने मायके में देती है एकबार उनकी एक भैंस बहुत ही अच्छे दामों पर बिक गयी, लेकिन उन पैसों में से ज्यादा पैसे सुरजी ने अपने भाई जिसका नाम सरजीत था उसको दे दिए |  कभी भी उसके भाइयों ने उसको मना नहीं किया कि वो ये सब छोड़कर अपने इतने बड़े परिवार के लिए सोचे |   घर के नाम पर एक मिटटी का बना कच्चा घर और इसके अलावा घर में खाने के लिए पूरे बर्तन भी नहीं थे |  जबभी सुरजी को कोई बर्तन खरीदने के लिए कहता उसका जवाब होता थोड़े दिनों के बर्तन और सामान रखने की जगह नहीं बचेगी |  क्योंकि लड़कों की शादी में बहुत सारा दहेज़ जो लेना है |   

                देव बहुत कम बोलता था और अपने काम से काम रखता था लेकिन वह गांव में सबकी बहुत इज्जत और सम्मान करता था गांव के महिलाएं हों या पुरष सभी उसको बहुत चाहते थे क्योंकि वह भी  मदद के लिए आगे रहता था | 



क्रमश |

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